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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Nirgun Bhajan,he lakdi tu ban lakdi,है लकड़ी तूं बन लकड़ी, अब देख तमाशा लकड़ी का

है लकड़ी तूं बन लकड़ी, अब देख तमाशा लकड़ी का

तर्ज हनुमान तुम्हारे द्वारे पर एक

है लकड़ी तूं बन लकड़ी, अब देख तमाशा लकड़ी का। जिए तो लकड़ी मरे तो लकड़ी, जीवन सारा लकड़ी का। हे लकड़ी…

गर्भ वास से बाहर निकला, झूले पलना लकड़ी का।पांच वर्ष की उम्र हुई तब, हाथ खिलौना लकड़ी का। हे लकड़ी…

बीस वर्ष की उम्र हुई तब,हुई तैयारी ब्याहने की। बांध सेहरा घोड़ी चढ़ गया, तोरण मारा लकड़ी का। हे लकड़ी….

चालीस वर्ष की उम्र हुई तब, फिक्र लगी है बुढ़ापे की। साठ वर्ष की उम्र हुई तब, हाथ सहारा लकड़ी का। है लकड़ी…

अस्सी वर्ष की उम्र हुई तब, तैयारी हुई अब चलने की। चार जने मिल तुझे उठाया, विमान बनाया लकड़ी का। हे लकड़ी…

गंगा तट पर जा कर रखा, स्नान कराया गंगा का। नीचे लकड़ी ऊपर लकड़ी, चिता बनाई लकड़ी की। हे लकड़ी….

आधम आध शरीर जला तब,ठोकर मारा लकड़ी का। होली जैसे फूंक दिया फिर, टुकड़ा डाला लकड़ी का। है लकड़ी….

कहत कबीर सुनो भाई साधो, खेल बना सब लकड़ी का। ढोलक लकड़ी बाजा लकड़ी, सितार बना लकड़ी का। हे लकड़ी….

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