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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Hari ne hiye na dhara re,हरी ने हिये न धारा रे ,वो नर पशु समान ज्यांरा ,धूड़ जमारा रे,nirgun bhajan

हरी ने हिये न धारा रे ,

हरी ने हिये न धारा रे ,
प्रभु ने हिये न धारा रे ।
वो नर पशु समान ज्यांरा ,
धूड़ जमारा रे ॥

पाँव से चल्या नहीं गुरु पासा ,
पाँव से चल्या नहीं गुरु पासा ।
उण नर केरा पाँव कहिजे ,
देवल थम्ब जैसा ॥
हरी ने हिये न धारा रे ।
वो नर पशु समान ज्यांरा ,
धूड़ जमारा रे ॥


हाथ से फेरी नहीं माळा ,
हाथ से फेरी नहीं माळा ।
उण नर केरा हाथ कहिजे ,
वृक्षन रा डाला ॥
हरी ने हिये न धारा रे ।
वो नर पशु समान ज्यांरा ,
धूड़ जमारा रे ॥


नैण से निरख्या नहीं नन्दा ,
नैण से निरख्या नहीं नन्दा ।
उण नर केरा नैण कहिजे ,
मोर पंख चन्दा ॥
हरी ने हिये न धारा रे ।
वो नर पशु समान ज्यांरा ,
धूड़ जमारा रे ॥


कान से सुणी नहीं कथा ,
कान से सुणी नहीं कथा ।
उण नर केरा कान कहिजे ,
कीड़ी दर जेड़ा ।
हरी ने हिये न धारा रे ।
वो नर पशु समान ज्यांरा ,
धूड़ जमारा रे ॥


हरि का भजन नहीं करता ,
राम का भजन नहीं करता ।
राम लाल यूं कहे जगत में ,
बंदर ज्यूं फिरता ॥
हरी ने हिये न धारा रे ।
वो नर पशु समान ज्यांरा ,
धूड़ जमारा रे ॥

हरी ने हिये न धारा रे ,
प्रभु ने हिये न धारा रे ।
वो नर पशु समान ज्यांरा ,
धूड़ जमारा रे ॥

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