तर्ज, उस बासुरी वाले की
मैं शरण तेरी जो आया, चरणों में शीश झुकाया,आराम हो गया। मेरा दादी जी के द्वार पर हर काम हो गया।
फिरता था मारा मारा, मुझे मिला ना कोई द्वारा। दर दर की ठोकर खाई, ना दिया किसी ने सहारा। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺मैं गर्दिश के जीवन से परेशान हो गया।मेरा दादी जी के द्वार पर हर काम हो गया।🌺🌺में शरण तेरी जो आया, चरणों में शीश झुकाया,आराम हो गया। मेरा दादी जी के द्वार पर हर काम हो गया।
ना किसी ने बाहें पकड़ी ना किसी ने राह दिखाई। क्या करूं कहां मैं जाऊं कुछ पडता नहीं सुझाई। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺जब झुंझुनू वाली मां का फरमान हो गया। मेरा दादी जी के द्वार पर हर काम हो गया।🌺🌺🌺में शरण तेरी जो आया, चरणों में शीश झुकाया,आराम हो गया। मेरा दादी जी के द्वार पर हर काम हो गया।
चौखट पर शीश झुकाया दादी ने मुझे अपनाया। तब हंसकर भवानी तुमने मेरे सिर पर हाथ फिराया। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 तेरे चरणों का में सेवक सरेआम हो गया। मेरा दादी जी के द्वार पर हर काम हो गया।🌺🌺🌺में शरण तेरी जो आया, चरणों में शीश झुकाया,आराम हो गया। मेरा दादी जी के द्वार पर हर काम हो गया।