कामतानाथ आके ले लो, दुनियां के फल ।।
Category: विविध भजन
मोह माया का छोड़ के चक्कर भक्ति में रम जाऊं रे,
भेरुजी प्रकटिया प्रगटिया, नदी गोमती माय,
तेरी मंजिल तो यही थी,
जिंदगी गुजर गयी आते आते,
साई है मेरे बाबा है,
साई है भगवान की ज्योति,
मूरतिमान सिंगार सहचरी ।
सजि लाई आरति सिंगार की ।।
बहन मेरी डोली सज गई आज, मैं चल देई हरिहर के संग में।
तेरे लहू में वो ताकत है,
मैंने रांधो चने को साग लंगुरिया,
बलम रूठ गए सब्जी पर
चरखले वाली तेरा चरखा बोले सतनाम,
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