बहन मेरी डोली सज गई आज, मैं चल देई हरिहर के संग में।
खबर हुई जब बेटा आए। हाथ में माला फूल की लाए। जीते जी मेरी बात ना पूछो अर्थी रहे सजाए।
बहन मेरी डोली सज गई आज, मैं चल देई हरिहर के संग में।
पीछे-पीछे बहुएं आई। हाथ में शीशा कंघा लाई। जिंदगी के कभी पैर छुए ना कर रही अब सिंगार।
बहन मेरी डोली सज गई आज, मैं चल देई हरिहर के संग में।
खबर हुई जब बेटी आई। वारे पैसे रोती आई। जिंदी में कभी दमड़ी ना छोड़ी अब मिट्टी पे रही लुटाए।
बहन मेरी डोली सज गई आज, मैं चल देई हरिहर के संग में।
खबर हुई जब भैया आए। हाथ में कॉटन साड़ी लाए। जिंदी थी तब कभी नहीं उठाया, अब मिट्टी को रहे उड़ाए।
बहन मेरी डोली सज गई आज, मैं चल देई हरिहर के संग में।
घेरों में से राजा आए। हाथ में कुमकुम डिबिया लाए। जिंदी की कभी बिंदिया ना लाए अब मरी की भर रहे मांग।
बहन मेरी डोली सज गई आज, मैं चल देई हरिहर के संग में।