तेरा दर मिल गया मुझको सहारा हो तो ऐसा हो,
Category: विविध भजन
कार्तिक कठिन बहार कार्तिक नहाओ जी
आया बैसाखी त्योहार, तेरे दर ते संगता पहुंच गईया,
है जिंदगी कितनी खूबसूरत, जिन्हें अभी ये पता नही है
नाकोडा में पार्श्व भैरव का, कितना सुंदर धाम है,
प्रभु जी काया की बन गई रेल,
रेल गाड़ी चलने वाली है,
गाड़ी छूट गई गुरुजी टिकट लेने नहीं पाई
रो रो कहे ध्रुव से लाल मैया मैं मौसी ने मारो,
शीतल कर मन मेरा, ओ माता शीतले।।
हरि से कुन्तीं नें दुख मांगा
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