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विविध भजन

Hansa Hans miliya se Hans hoyi re,हंसा हंस मिलया से हंस होई रे

हंसा हंस मिलया से हंस होई रे।



हंसा हंस मिलया से हंस होई रे।
जो तू जोड़े बैठे बुगला का
हंस केवेगा न कोई रे
हंसा हंस मिलया से हंस होई रे।



ई हंसा है क्षीर कूप का
नीर कूप वाँ नाहि रे ।
नीर कूप ममता को पानी
ई तजिया तो हंस होई रे॥
हंसा हंस मिलया से हंस होई रे।


दस अवतार षठ दर्शन कहिए,वेद भणेगा नर सोई रे।
वरण छत्तीसा शास्त्र गीता
ई तजिया तो हंस होई रे॥
हंसा हंस मिलया से हंस होई रे।



मदवारे होई ने बैठो मंदिर में,
तिरिया की गम नाहीरे
देखन का साधु घणा मठधारी
याको ब्रह्म ठिकाने नाही रे ॥
हंसा हंस मिलया से हंस होई रे।


तीन लोक पर बैठो यमराजा
बैठो बाण संजोई रे,
समझ विचार चढ्यो है हंस राजा
काल दियो है यो रोई रे ॥
हंसा हंस मिलया से हंस होई रे।


ई हंसा है अमर लोक का
आवागमन में नाही रे,
कहै कबीर सुनो भाई साधौ
सद्गुरु सैण लखाई रे हंसा ॥
हंसा हंस मिलया से हंस होई रे।

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