मेरी अश्वन भीगे साड़ी
आ जाओ कृष्ण मुरारी
में पांच पति की नारी
जुए में बाजी हारी
दुशासन खींचे साड़ी
आ जाओ कृष्ण मुरारी।मेरी अश्वन भीगे साड़ी
आ जाओ कृष्ण मुरारी
करो बचन याद बनवारी
जब उंगली कटी तुम्हारी
मैंने फाड़ के हो मैंने फाड़कर बांधी साड़ी
आ जाओ कृष्ण मुरारी।मेरी अश्वन भीगे साड़ी
आ जाओ कृष्ण मुरारी
जब याद बचन कि आई
प्रभु दौड़े दौड़े आए
साड़ी में,हो साड़ी में छुपे बनवारी
आ जाओ कृष्ण मुरारी।मेरी अश्वन भीगे साड़ी
आ जाओ कृष्ण मुरारी।
साड़ी का ढेर लगाया
दुष्टों का मान घटाया
मैं आया शरण तुम्हारी
द्रोपदी की लाज बचाई।मेरी अश्वन भीगे साड़ी
आ जाओ कृष्ण मुरारी।