तर्ज,परदेसियों से न अंखियां मिलाना
मुश्किल हुआ रे मेरा पनघट पे,जाना। 🦚जाऊं जिस गली में मोहे,मिल जाए कान्हा।मुश्किल हुआ रे मेरा पनघट पे,जाना।
बोली कन्हैया जरा, मटकी उठा दे। धीरे से बोले गुजरी, मुखड़ा दिखादे।🦚🦚🦚🦚 दैया रे दैया उनका ऐसा बतियाना।🦚मुश्किल हुआ रे मेरा पनघट पे,जाना।
मुख से उठाया मेरा, घुंघट मुरारी। छोड़ आई गगरी मैं तो, लाज की मारी।🦚🦚🦚🦚 छेड़े हैं सहेली मुझे, मारे है ताना।🦚🦚🦚मुश्किल हुआ रे मेरा पनघट पे,जाना।
मैया यशोदा तेरा, लाल है अनाड़ी। फोड़ दई गगरी मेरी, फाड़ दई साड़ी।🦚🦚🦚🦚 लड़ेगी जेठानी मोहे,अब घर ना जाना।मुश्किल हुआ रे मेरा पनघट पे,जाना।
मटकी फोड़े कान्हा, माखन भी खाए। बंसी की धुन पर सारे, ब्रज को नचाए। 🦚🦚दिल है बिहारी मेरा, श्याम का दीवाना। मुश्किल हुआ रे मेरा पनघट पे,जाना।
मुश्किल हुआ रे मेरा पनघट पे,जाना। 🦚जाऊं जिस गली में मोहे,मिल जाए कान्हा।मुश्किल हुआ रे मेरा पनघट पे,जाना।