दीनबंधु दीनानाथ मेरी डोरी तेरे हाथ
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मनमोहन तुझे रिझाऊं,तेरे नित नए लाड़ लड़ाऊं
कान्हा जी तुम ऐसी बंसी बजाना
कान्हा जन्मे आधी रात,भादौ की रतियां
यशोदा के नंदकिशोर, हां किशोर मत छेड़ो बीच डगरिया में।
अपनो गांव रखो नंदरानी, हम कहीं और बसेंगी जाय।