कान्हा जी तुम ऐसी बंसी बजाना,की नाचे सखियां सारी हो।
दिया बनाना चाहे बाती बनाना, अपने ही मंदिर में मुझ को जलाना।🌺🌺🌺🌺🌺सब देखें दिए की और,२,कान्हा जी तुम ऐसी बंसी बजाना।
राधा बनाना चाहे रुक्मण बनाना। अपने ही साथ में, मुझको बिठाना।🌺🌺🌺🌺🌺 और बांधे रखना डोर।२।कान्हा जी तुम ऐसी बंसी बजाना,
फूल बनाना चाहे कलियां बनाना। अपने ही गले की, शोभा बढ़ाना।🌺🌺🌺🌺🌺🌺 सब देखें मेरी और।२।कान्हा जी तुम ऐसी बंसी बजाना।
सोना बनाना चाहे चांदी बनाना। अपने ही पायल, का घुंगरू बनाना।🌺🌺🌺🌺🌺 जब हो घुंगरू का शोर।२।कान्हा जी तुम ऐसी बंसी बजाना।
माखन बनाना चाहे मिश्री बनाना। अपने ही मंदिर में, मुझको चढ़ाना।🌺🌺🌺🌺🌺 और बांधे रखना डोर।२।कान्हा जी तुम ऐसी बंसी बजाना।
बंशी बनाना तो ऐसी बनाना। अपने ही हाथों में, मुझको रमाना। 🌺🌺🌺🌺🌺जब हो बंसी का शोर।२।कान्हा जी तुम ऐसी बंसी बजाना।
कान्हा जी तुम ऐसी बंसी बजाना,की नाचे सखियां सारी हो।कान्हा जी तुम ऐसी बंसी बजाना।