राम भज ले रे हरी रो सुमिरन करले।
Category: विविध भजन
कोई कितना भी कर ले जतन वक्त से पहले कुछ ना मिलेगा।
गया खाली हाथ सिकंदर, यह सब दुनिया ने जानी।
क्या तुम्हें पता है ए अर्जुन यह द्वापर जाने वाला है
तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।
अरी ओ लाडली अपने माथे का टीका संभाल।
ओ जी रे दीवाना तू तो, मालिक ने क्यों भूलीयो रे दीवाना
प्रभु रथ में हुए सवार नगाड़ा बाज रहा
मन रे जप ले तू सुबह शाम। सांचा है बस एक प्रभु का नाम।
पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा।
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