दोहा, कहे दास सगरा ,ढूंढ मिनखा तन पायो। भजो ना सिरजनहार, और कमायो सोयो खायो।और कमायो सोयो खायो,और कियो इसिया सु प्यार।आयो चौरासी भुगतने,और फेर जावन ने तैयार।फेर जावन ने तैयार, ओ नार गेली रो जायो।कहे दास सगरा ,ढूंढ मिनखा तन पायो।
तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।सुमिरन बिन सुंदर काया।सुमिरन बिन सुंदर काया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।
रूप घना हर में नहीं सुरती ,जैसे बनी पत्थर की मूर्ति।रूप घना हर में नहीं सुरती ,जैसे बनी पत्थर की मूर्ति। बिन भजन भूखे की बिनती। जैसे घुसती कुतीया गांव की, घुस घुस के नगर जगाया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।
धर्म बिना शोभा नहीं धन की। बिना जतन शोभा ना भवन की।धर्म बिना शोभा नहीं धन की। बिना जतन शोभा ना भवन की। भजन बिना ममता ना मिटन की। तुम तो तस्कर चोर हराम की। मन बस गया माल पराया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।
ज्ञान सुन बिन सरवन कैसा। भूमि के बीच पड़ा बिल जैसा।ज्ञान सुन बिन सरवन कैसा। भूमि के बीच पड़ा बिल जैसा। बिना तीर्थ के भाव जड़ जैसा। तू तो डगर ना पाई धाम की, नर वीर्था जन्म गवाया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।
भज ले राम भजा जाए तब लग। जीवना है सांसा है तब लग।भज ले राम भजा जाए तब लग। जीवना है सांसा है तब लग। कहे ब्रह्मचारी पार लगो अब। है काया पुतली चाम की, क्या अमर पटा लिखवाया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।
तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।सुमिरन बिन सुंदर काया।सुमिरन बिन सुंदर काया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।तुम सुनो सजन किस काम की, सुमिरन बिन सुंदर काया।