चली है सुहागन सुरता पिव निरखन ने,
पिव निरख्यो अखै अविनाशी।।
Category: विविध भजन
साधो भाई देखो न नजर पसार
या काया तन में रेल चले।
गुरू घर आविया ये,
जद रात पूनम गई है होय।।
दरिया बना दिया किसी को, साहिल बना दिया
चाच पॉख बीन काया देखी
हँस नजर कोनी आयो ले सादो भाई।
चादर झीणी राम झीणी,
समय समय की बात ह्
घट राखो अटल सुरती ने, दरसन कर निज भगवान का
कळप मत काछब कुड़ी ए
रमय्ये री बाता रूडी ए
बोली एक अमौल ह ज कोई जानें बोल
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