Categories
विविध भजन

Chali hai suhagan surta piw nirkhan ne,चली है सुहागन सुरता पिव निरखन ने पिव निरख्यो अखै अविनाशी

चली है सुहागन सुरता पिव निरखन ने,
पिव निरख्यो अखै अविनाशी।।

चली है सुहागन सुरता पिव निरखन ने,
पिव निरख्यो अखै अविनाशी।।



घट घट को वासी पियो,
मोड़ जन्म नहीं आसी।
पांच तीन से न्यारो प्रीतम,
न भुगतां लख चौरासी।।चली है सुहागन सुरता पिव निरखन ने,
पिव निरख्यो अखै अविनाशी।।



अखै देश बसायो है पिव,
सत्य लोक का वह वासी।
सुरत न मूरत रूप नहीं रेखा,
निज पारख प्रकाशी।।चली है सुहागन सुरता पिव निरखन ने,
पिव निरख्यो अखै अविनाशी।।



चश्म वेद का भेद निराला,
या गम तो बिरला पासी।
जाग्रत स्वप्न सुषोपति न्यारो,
चेतन पिव इकरासी।।चली है सुहागन सुरता पिव निरखन ने,
पिव निरख्यो अखै अविनाशी।।



सतगुरू बन्ताशाह पिव है म्हारो,
वह है पूर्ण प्रकाशी।
दास करोड़ी अमर पियो पायो,
सत में सत मिल जासी।।चली है सुहागन सुरता पिव निरखन ने,
पिव निरख्यो अखै अविनाशी।।

Leave a comment