म्हारा श्याम रंगीला पलकां उघाड़ों फागन आ गयो।
Author: Pushpanjali
गोपी मनोहर सुंदर हरी ओम
सुन बरसाने वारी,गुलाम तेरो बनवारी
ओ जी दादीजी थारी यादडली सतावे
कान्हा बस पास में है झोपड़ी हमारी
क्यूं हार गुलाबी पहर्यो
दिन पर गुरुदेव कृपा कीजिए। ज्ञान दे अज्ञान को हर लीजिए।
कीर्तन रच्यो है म्हारे आंगणे
बापू म्हाने भोलाए गयो पूजा
बंसी बजाके किधर गयो रे मोरे बांके सांवरिया
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