तर्ज,वारी जाऊं चिरमी ने
कीर्तन रच्यो है म्हारे आंगणे ।थे आज्यों गोरि रा लाल,आओ म्हारे आंगनिए।
रिद्धि सिद्धि ने थे साग ल्याजो, अन्नधन से भरो, भंडार ।आओ म्हारे आंगनिए।
सोने की थाली में मोदक लयाया। थे पाओ जी शिवजी रा लाल ।आओ म्हारे आंगनिए।
फुलडा री माला,लाया विनायक,थारे अर्पण करा गणराज।आओ म्हारे आंगनिए।
सबसे पहले में तो थानें मनाऊं,म्हारे सिरपे रखदो हाथ।आओ म्हारे आंगनिए।