।। दोहा ।।
जैसे चूड़ी कांच की , वैसी नर की देह।
जतन करिया सु जावसी , हर भज लावो लेह।
मत कर भोळी आत्मा ,
नुगरों रो संग रे ।
नुगरों री संगत में ,
ओ मिनख जमायो खोयो रे ॥
सुओ – सुओ जाणती मैं ,
पिंजरियो बणवायो रे ।
करमोंरे परताप सूं ओ ,
कागो निकळ आयो रे ॥
मत कर भोळी । …
हीरा – हीरा जाणती मैं ,
अंगूठी घड़वाई रे ।
करमोंरे परताप सूं ओ ,
पथर निकल आयो रे ॥
मत कर भोळी । …
सोनो – सोनो जाणती मैं ,
तीमणियो घड़वायो रे ।
करमोंरे परताप सूं ओ ,
पीतळ निकळ आयो रे ॥
मत कर भोळी । …
साधु – साधु जाणती मैं ,
आँगणिये जीमायो रे ।
करमोंरे परताप सूं ओ ,
ढोंगी नीकळ आयो रे ॥
मत कर भोळी । …
गावे राणी रूपांदे जी ,
उगमसिंह जी री चेली रे ।
सतगुरु रे परताप सूं आ ,
अमरापुर में खेली रे ॥
मत कर भोळी । …
मत कर भोळी आत्मा ,
नुगरों रो संग रे ।
नुगरों री संगत में ,
ओ मिनख जमायो खोयो रे ॥