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durga bhajan lyrics दुर्गा भजन लिरिक्स

Saj Rahi meri ambe maiya sunhari gote me,सज रही मेरी अम्बे मैया, सुनहरी गोटे में,durga bhajan

सज रही मेरी अम्बे मैया, सुनहरी गोटे में ।

सज रही मेरी अम्बे मैया, सुनहरी गोटे में ।
सुनहरी गोटे में, सुनहरी गोटे में,
सुनहरी गोटे में, रूपहरी गोटे में ॥सज रही मेरी अम्बे मैया, सुनहरी गोटे में ।

मैया तेरी चुनरी की गजब है बात,
चंदा जैसा मुखड़ा मेहंदी से रचे हाथ,

सज रही मेरी अम्बे मैया,सुनहरी गोटे में ।
सुनहरी गोटे में, सुनहरी गोटे में,
सुनहरी गोटे में, रूपहरी गोटे में ॥सज रही मेरी अम्बे मैया, सुनहरी गोटे में ।

मैया के प्यारे
भगत बेचारे
करते वो निर्धन
नित कन्या पूजन
माँ प्रसन्न हो उन पर
आई कन्या बनकर
उनके घर आई
ये हुक्म सुनाई
कल अपने घर पर रखो विशाल भंडारा
कराओ सबको भोजन बुलाओ गाँव सारा


सज रही मेरी अम्बे मैया,सुनहरी गोटे में ।
सुनहरी गोटे में, सुनहरी गोटे में,
सुनहरी गोटे में, रूपहरी गोटे में ॥सज रही मेरी अम्बे मैया, सुनहरी गोटे में ।


माँ का संदेसा, हाँ जी
घर घर में पहुंचा, हाँ जी
करने को भोजन, हाँ जी
आ गए सब ब्राम्हण, हाँ जी
भैरव भी आया, हाँ जी
सब चेलों को लाया, हाँ जी
भगत घबराये, हाजी
कुछ समझ ना पाए, हाँ जी
फिर कन्या आई, हाँ जी
उन्हें धीर बंधाई, हाँ जी
वो दिव्य शक्ति, हाँ जी
भगत से बोली, हां जी
तुम मत घबराओ, हाँ जी
अब बहार आओ, हाँ जी
सब अतिथि अपने, हाँ जी
कुटिया में लाओ, हाँ जी
भगत बोले, हाँ जी
फिर बहार आकर, हाँ जी
सब भोजन करले, हाँ जी
कुटिया में चलकर, हाँ जी
फिर भैरव बोले, हाँ जी
मै और मेरे चेले, हाँ जी
कुटिया में तेरी, हाँ जी
बैठेंगे कैसे, हाँ जी
बोले फिर भगत, हाँ जी
तुम चलो तो अंदर, हाँ जी
अस्थान की चिंता, हाँ जी
तुम छोड़ दो मुझपर, हाँ जी
तब लगा के आसन, हाँ जी

बैठे सब ब्राम्हण, हाँ जी
कुटिया के अंदर, हाँ जी
करने को भोजन, हाँ जी
भंडारे का आयोजन श्रीधर जी से करवाया,
फिर सबको पेट भरकर भोजन तूने करवाया,
मैया तेरी माया क्या समझेगा कोई,
जो भी तुझे पूजे नसीबो वाला होय,

सज रही मेरी अम्बे मैया,सुनहरी गोटे में ।
सुनहरी गोटे में, सुनहरी गोटे में,
सुनहरी गोटे में, रूपहरी गोटे में ॥सज रही मेरी अम्बे मैया, सुनहरी गोटे में ।


सुनले ऐ ब्राम्हण, हाँ जी
ये वैष्णव भोजन, हाँ जी
ब्राम्हण जो खाते, हाँ जी
वही तुझे खिलाते, हाँ जी
हट की जो तूने, हाँ जी
बड़ा पाप लगेगा, हाँ जी
यहाँ मॉस और मदिरा, हाँ जी
नहीं तुझे मिलेगा, हाँ जी
ये वैष्णो भंडारा तू मान ले मेरा कहना,
ब्राम्हण को मॉस मदिरा से क्या लेना देना,

सज रही मेरी अम्बे मैया,सुनहरी गोटे में ।
सुनहरी गोटे में, सुनहरी गोटे में,
सुनहरी गोटे में, रूपहरी गोटे में ॥सज रही मेरी अम्बे मैया, सुनहरी गोटे में ।

भैरव ना छोड़ा, हाँ जी
मैया का पीछा, हाँ जी
माँ गुफा के अंदर, हाँ जी
जब छुप गई जाकर, हाँ जी
जब गर्भ गुफा में, हाँ जी
भैरव जाता था, हाँ जी
पहरे पर बैठे, हाँ जी
लंगूर ने रोका, हाँ जी
अड़ गया था भैरव, हाँ जी
जब अपनी जिद पर, हाँ जी
लांगुर भैरव में, हाँ जी
हुआ युद्ध भयंकर, हाँ जी
फिर आदि शक्ति, हाँ जी
बनकर रणचंडी, हाँ जी
जब गर्भ गुफा से, हाँ जी
थी बाहर निकली, हाँ जी
वो रूप बनाया, हाँ जी
भैरव घबराया, हाँ जी
तलवार इक मारी, हाँ जी
भैरव संहारी, हाँ जी
भैरव के तन से, हाँ जी
आवाज ये आई, हाँ जी
हे आदि शक्ति, हाँ जी
हे चण्डी माई, हाँ जी

मुझ पर कृपा कर, हाँ जी
मेरा दोष भुलाकर, हाँ जी
मुझे कोई वर दे, हाँ जी
ये करूणा कर दे, हाँ जी
मैं हूँ अपराधी, हाँ जी
तेरी भक्ति साधी, हाँ जी
मेरा दोष मिटा दे, हाँ जी
निर्दोष बना दे, हाँ जी
भैरव शरणागत आया तो बोली वैष्णव माता,
मेरी पूजा के बाद में होगी तेरी भी पूजा,
मैया के दर्शन कर जो भैरव मंदिर में जाए,
मैया की कृपा से वो मन चाहा वर पाए,


सज रही मेरी अम्बे मैया,सुनहरी गोटे में ।
सुनहरी गोटे में, सुनहरी गोटे में,
सुनहरी गोटे में, रूपहरी गोटे में ॥सज रही मेरी अम्बे मैया, सुनहरी गोटे में ।

सज रही मेरी अम्बे मैया, सुनहरी गोटे में।
सुनहरी गोटे में, सुनहरी गोटे में,
सुनहरी गोटे में, रूपहरी गोटे में ॥

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