तर्ज,नखरलो देवरियो
शिव भोले नाथ प्रभु कैलाश पर तप करते।
सिर पर जटा घनी है लंबी, जटा में गंग विराजे। गले में माला सर्पों की है कान में कुंडल साजे। भोले हर हर बम जपते कैलाश पर तप करते।शिव भोले नाथ प्रभु कैलाश पर तप करते।
सारे जग के है रखवाले यह शिव शंकर भोले।दिन राति कैलाश पे डोले, यह है भोले भाले। जाने किस का ध्यान धरे, कैलाश पर तप करते।शिव भोले नाथ प्रभु कैलाश पर तप करते।
अंग विभूति रमाये भोले ओघर दानी कहलाते।क्रोध में जोगी आ जाए तो,तांडव खूब रचाते।इनके क्रोध से सब डरते,कैलाश पर तप करते।शिव भोले नाथ प्रभु कैलाश पर तप करते।
भांग धतूरा खाकर भोले डमरु खूब बजावे।सारे विष को पीकर यह नीलकंठ कहलाए। ऋषि मुनि सब ध्यान धरते, कैलाश पर तप करते।🌺शिव भोले नाथ प्रभु कैलाश पर तप करते।