जरा चल के वृन्दावन देखो ,
श्याम बंसी बजाते मिलेंगे ।
झुला झूलती मिलेंगी राधा रानी ,
श्याम झुला झुलाते मिलेंगे ।
जहाँ यमुना की निर्मल धारा ,
वंशीवट का अनुपम नज़ारा ।
जहाँ संतों की टोली विराजे ,
वो तो हरी गुण गाते मिलेंगे।
जहाँ बांके बिहारी की झाँकी ,
उनकी चितवन अनोखी है बांकी ।
जिनके तन पे पीताम्बर सोहे ,
दूध दहिया चुराते मिलेंगे।
जहाँ राधा वल्लभ की है जोड़ी ,
काम रत की भी उपमा है थोड़ी ।
पिया प्रीतम लिए गल बाहें ,
वो तो रास रचाते मिलेंगे।
श्याम सुंदर की शोभा अति बांकी
जिनके मुख पर मुरलिया है प्यारी ।
ग्वाल बालों को संग में ले कर ,
वो तो गौएँ चराते मिलेंगे।
जरा चल के वृन्दावन देखो ,
श्याम बंसी बजाते मिलेंगे ।
झुला झूलती मिलेंगी राधा रानी ,
श्याम झुला झुलाते मिलेंगे ।