अरे मैं तो ओढ़ चुनरिया जाऊंगी कुंजन में। चलो री मेरी सखी सहेली, जाऊंगी कुंजन में।
नथली पहनी झुमका पहना, पहना नौलख हार। हाथ में कंगन पहन बहनिया कर सोलह सिंगार। सखी री मेरा मन ना लाग, घर के झमेले।🌺🌺अरे मैं तो ओढ़ चुनरिया जाऊंगी कुंजन में।
दादर मोर पपीहा बोले छाई अजब बहार। जब से मैंने छवि लखी है, छाई खुशी अपार। सखी री मैं तो गीत सुनाऊं, जांऊगी कुंजन में।🌺🌺🌺अरे मैं तो ओढ़ चुनरिया जाऊंगी कुंजन में।
माखन मिश्री भोग लगाऊं, और चढ़ाऊं माला ।आठों याम में सेवा करूंगी,बन करके वृजबाला। सखिरी मेरा नाता जुड़ गया,वृंदावन वाले से।🌺अरे मैं तो ओढ़ चुनरिया जाऊंगी कुंजन में।