चली आइयो सखियां सारी, वंशीवट पे। वहां रास रचेगा भारी,जमुना तट पे।
बड़ी मुश्किल से तो आया,दिन महारास का,दिन महारास का।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺में श्याम की श्याम है मेरा,इस दृढ़ विश्वास का।इस दृढ़ विश्वास का।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺आई शरद पूनम उजियारी,नाचेंगे डट के।आज थाडो रे गिरधारी,जमुना के तट पे।
चली आइयो सखियां सारी, वंशीवट पे। वहां रास रचेगा भारी,जमुना तट पे।
सखी मन को सजाके आना,सब श्याम रंग में,सब श्याम रंग में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺सारी सृष्टि है समाई,मेरे श्याम के अंग में,मेरे श्याम के अंग में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अब आई हमारी बारी,तब क्यों तूं भटके।चली आइयो रे सखिरी आज,वंशीवट पे।आज थाडो रे गिरधारी,जमुना के तट पे।
चली आइयो सखियां सारी, वंशीवट पे। वहां रास रचेगा भारी,जमुना तट पे।
रसिकों की अमर ये लीला,संग रासबिहारी के,रासबिहारी के।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺तुम भी बन जाओ पागल,मुरली मतवारी के,मुरली मतवारी के।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺हरी दासी भी तिहारी,इस काली लट के।आज थाडो रे गिरधारी,जमुना के तट पे।
चली आइयो सखियां सारी, वंशीवट पे। वहां रास रचेगा भारी,जमुना तट पे।