ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां।
किलकि किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
धय मात गोद लेत, दशरथ की रनियां। ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां।
अंचल रज अंग झारि, विविध भांति सो दुलारि।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
तन मन धन वारि वारि, कहत मृदु बचनियां। ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां।
विद्रुम से अरुण अधर, बोलत मुख मधुर मधुर।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सुभग नासिका में चारु, लटकत लटकनियां।🌺ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां।
तुलसीदास अति आनंद, देख के मुखारविंद।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
रघुवर छबि के समान, रघुवर छबि बनियां। ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां।