गुरूजी मेरी काया की बन गई रेल। रेल बड़ी अजब निराली है।
रेल बड़ी अजब निराली है।रेल बड़ी अजब निराली है।गुरूजी मेरी काया की बन गई रेल। रेल बड़ी अजब निराली है।
हाथ पांव के पहिया बन गए,दो नैनन के सिग्नल बन गए।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹दिल का इंजन दिया बनाएं, रेल चलने को ठाडी है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹गुरूजी मेरी काया की बन गई रेल। रेल बड़ी अजब निराली है।
हाथ पांव के सिग्नल रुक गए,दो नैनन के सिग्नल बुझ गए।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹दिल का इंजन हो गया फेल,रेल जिस के संग छाडी है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹गुरूजी मेरी काया की बन गई रेल। रेल बड़ी अजब निराली है।
एक लकड़ी की सेज बनाई, उसके ऊपर रेल लिटाई।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹अरे जी कर सोलह श्रृंगार,रेल कांधे पे जारी है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹गुरूजी मेरी काया की बन गई रेल। रेल बड़ी अजब निराली है।
चुन चुन लकड़ी चिता बनाई,उसके ऊपर रेल सुलाई।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹ले गया जी चलती फिरती रेल,देख होली सी जल रही है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹गुरूजी मेरी काया की बन गई रेल। रेल बड़ी अजब निराली है।
एक कपड़े की थैली बनाई,फिर बांध जामे रेल घुसाई।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹देखो जी बहु बेटों के साथ,रेल गंगा में जा रही है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹गुरूजी मेरी काया की बन गई रेल। रेल बड़ी अजब निराली है।
गुरूजी मेरी काया की बन गई रेल। रेल बड़ी अजब निराली है।