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श्याम भजन लिरिक्स

Sanwre ki mahfil ko,सांवरे की महफिल को, सांवरा सजाता है,shyam bhajan

सांवरे की महफिल को, सांवरा सजाता है।

तर्ज,आदमी मुसाफिर है

सांवरे की महफिल को, सांवरा सजाता है।किस्मत वालों के,घर में श्याम आता है।

गहरा हो नाता, बाबा का जिन से।मिलने को बाबा आता है उनसे।🦚🦚🦚🦚🦚🦚उनका वो साथी,बन जाता है।

सांवरे की महफिल को, सांवरा सजाता है।किस्मत वालों के,घर में श्याम आता है।

किरपा बरसती है,जिस पे इसकी।तकदीर लिखता,हाथों से उसकी।🦚🦚🦚🦚🦚गम का अंधेरा,छंट जाता है।

सांवरे की महफिल को, सांवरा सजाता है।किस्मत वालों के,घर में श्याम आता है।

भजन सुनाते जो, इसको प्यारे।उसके तो परिवार,के वारे न्यारे।🦚🦚🦚🦚🦚🦚मंदिर सा घर,बन जाता है।

सांवरे की महफिल को, सांवरा सजाता है।किस्मत वालों के,घर में श्याम आता है।

कुछ भी असंभव, होता नही है।महफिल में इसकी,होता यही है।🦚🦚🦚🦚🦚🦚सबकुछ हमें यहां,मिल जाता है।

सांवरे की महफिल को, सांवरा सजाता है।किस्मत वालों के,घर में श्याम आता है।

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