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Yashomati maiya ke pyare, यशोमति मैया के प्यारे,krishna bhajan

यशोमति मैया के प्यारे,सारे वृज के आंख के तारे

तर्ज,तुझे सूरज कहूं या चंदा

यशोमति मैया के प्यारे,सारे वृज के आंख के तारे।में पुकार रहा हुं तुमको,आ जाओ नंद दुलारे।

जब पाप बढा धरती पर, तुम ने अवतार लिया है।सारे जग को इस भव से, तुमने ही तार लिया है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹काटे हैं तुमने स्वामी,जग के भव बंधन सारे। मैं पुकार रहा हुं तुमको,आ जाओ नंद दुलारे।

यशोमति मैया के प्यारे,सारे वृज के आंख के तारे।में पुकार रहा हुं तुमको,आ जाओ नंद दुलारे।

कभी बन के राम तुम आए, पुरुषोत्तम भी कहलाए।भर भक्ति भाव प्रेम में, शबरी के बेर भी खाए।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹नारायण घट घट वासी, भक्तों के काज संवारे। में पुकार रहा हुं तुमको,आ जाओ नंद दुलारे।

हर युग में रूप बदलकर, इस धरा पर तुम ही आए।कभी माखन खूब चुराए,ग्वालों संग खेल खिलाए।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹कभी मुरली मधुर बजाई, जमुना माई के किनारे। में पुकार रहा हुं तुमको,आ जाओ नंद दुलारे।

अंखियां मेरी दरस की प्यासी, तुम आकर प्यास बुझाओ। हे श्याम सलोने गोविंद, अब और न तुम तरसाओ।🌹🌹🌹🌹🌹🌹 मैं आया शरण तुम्हारी, करूं विनती खड़ा हुं द्वारे। में पुकार रहा हुं तुमको,आ जाओ नंद दुलारे।

यशोमति मैया के प्यारे,सारे वृज के आंख के तारे।में पुकार रहा हुं तुमको,आ जाओ नंद दुलारे।

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