Categories
निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Nirgun Bhajan,Yah vinti hai pal pal, यह विनती है पल पल क्षण क्षण

यह विनती है पल पल क्षण क्षण, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।

यह विनती है पल पल क्षण क्षण, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में। अपराध न हो इस सेवक से, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।

चाहे दुख का आगार बनूं, चाहे सुख का भंडार बनूं। पर सभी परिस्थिति में भगवन, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹अपराध न हो इस सेवक से, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।

जो कुछ भी जग में आता है, प्रारब्ध उसे दे जाता है। मैं लिप्त ना उसमें हो जाऊं, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹अपराध न हो इस सेवक से, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।

यह मानव तन जो पाया है, हरि कृपा दृष्टि की छाया है। मनकी सब चंचलता छूटे, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹अपराध न हो इस सेवक से, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।

गति मति से तुम ही विधाता हो, मेरे मन के तुम ज्ञाता हो। इसलिए नाथ कह रहा यही, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।🌹🌹🌹🌹🌹🌹अपराध न हो इस सेवक से, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।

क्या कहूं प्रभु अंतर्यामी, मेरे जीवन धन हे स्वामी। मुझ शक्तिहीन के सत्य सुह्रद, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹अपराध न हो इस सेवक से, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।

परहित जो जीवन धरत,परहित जो मरी जात। रामायण दृग जल बनत, गीता कर्म रचात।

Leave a comment