अकेली गई थी व्रज में,कोई नहीं था मेरे मन में,मोरपंख वाला मिल गया
Tag: Mor pankh wala mil gaya
ओ कान्हा कारे रस्ता मेरा छोड़ रे
मेरे सिर पे गागर भारी
उतारो ना बनवारी
आज बधाइयां बट रही रे नंदरानी के अंगना
खुल गए सारे ताले, ओय क्या बात हो गई।
अकेली गई थी व्रज में,कोई नहीं था मेरे मन में,मोरपंख वाला मिल गया
ओ कान्हा कारे रस्ता मेरा छोड़ रे
मेरे सिर पे गागर भारी
उतारो ना बनवारी
आज बधाइयां बट रही रे नंदरानी के अंगना
खुल गए सारे ताले, ओय क्या बात हो गई।