ओ कान्हा कारे रस्ता मेरा छोड़ रे।गोरी गोरी बैयां ना यूं मोड़ रे।
काहे मुझको तंग करे तूं, ओ नटखट नंदलाला।माखन खाए और बिखराए,तूने जुलम कर डाला।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹ओ कान्हा कारे रस्ता मेरा छोड़ रे।
गोरी ब्रज की बाला काहे, झूठा दोष लगाए।हाथ लगी मटकी कैसे छोड़ूं रे।🌹🌹🌹🌹ओ कान्हा कारे रस्ता मेरा छोड़ रे।
रोज-रोज तू काहे हमसे करता है बरजोरी। नंद बाबा से करें शिकायत हम सब गांव की छोरी।
सुन री गुजरिया नंद बाबा से,कहे हमें डराए।हाथ चाहे कितना तूं जोड़ रे।🌹🌹🌹🌹ओ कान्हा कारे रस्ता मेरा छोड़ रे।
काहे हम से करते ऐसे, ओ कान्हा मतवारे। ओ बांके बनवारी हम,पड़ती है पांव तुम्हारे।
माखन जबतक नही खिलाओ, नहीं छोड़ेंगे रस्ता।पटक के तेरी मटकी, में दूं फोड़ रे।ओ कान्हा कारे रस्ता मेरा छोड़ रे।
ओ कान्हा कारे रस्ता मेरा छोड़ रे।गोरी गोरी बैयां ना यूं मोड़ रे।