कर्म धर्म री सड़क बनाय ल्यो, सूरत नुरत रा चीला रे
Category: निर्गुण भजन nirgun Bhajan
थारा रंग महल में अजब शहर में
आजा रे हंसा भाई,
चामड़ा पूतळी, रामैयो रट ले
सुरता ने ले नी जगाय, पिंजर पड़ जासी
पाँच तत्त्व और तीन गुणां से, रचियो मन्दिरियो
पिंजरियो पिंजरियो रे पक्षी कई निर्खे।
हंसा हंस मिलया से हंस होई रे।।
तेरी दुनिया में जो भी चला आता पर यहां से नहीं जाना चाहता
में तो हीरो गमादियो कचरा में
चटका है दिन चार,
पुराणी पड़गी चुनड़ी
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