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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

O tan jawsi re manwa Chet sake to Chet,ओ तन जावसी रे मनवाचेत सके तो चेत,

ओ तन जावसी रे मनवा,
चेत सके तो चेत,

ओ तन जावसी रे मनवा,
चेत सके तो चेत,
मानव तन दुर्लभ से मिलियो,
कर ले हरी से हेत,
ओ तन जावसी रे मनवा,
चेत सके तो चेत।



सब जग दीसे जावतो रे,
रहयो ना दीसे एक,
काळ सभी को खावसी रे,
क्या जगत क्या भेद,
ओ तन जावसी रे मनवा,
चेत सके तो चेत।



मात पिता मिल बीछड़े रे,
बहुरि ना मिलना होय,
जीव ने जम ले जावसी रे,
राख सके नहीं कोय,
ओ तन जावसी रे मनवा,
चेत सके तो चेत।



इण अवसर चेत्या नहीं रे,
मूर्ख महा जान,
अंत समय जम लूट सी रे,
होसी बहुत ही हाण,
ओ तन जावसी रे मनवा,
चेत सके तो चेत।



अनन्त कोटि सन्तजन कहवे रे,
सतगुरु सतगुरु कहवे बढ़ाय,
मनी राम मिल शब्द से,
जहाँ काळ ना पहुँचे आय,
ओ तन जावसी रे मनवा,
चेत सके तो चेत।



ओ तन जावसी रे मनवा,
चेत सके तो चेत,
मानव तन दुर्लभ से मिलियो,
कर ले हरी से हेत,
ओ तन जावसी रे मनवा,
चेत सके तो चेत।

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