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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Kaya re teri pawni re bande Hans bateu log,काया रे तेरी पावनी रे बन्दे हंस बटेऊ लोग

काया रे तेरी पावनी रे बन्दे, हंस बटेऊ लोग।

काया रे तेरी पावनी रे बन्दे, हंस बटेऊ लोग।
जो जन्मा सो आया मरण में, सभी काल के भोग।
आपे नै भी मरणा होगा, औरां का के सोग।



बालापन हंस खेल गंवाया, जवानी में भोगे भोग।
बूढ़ा हुआ जब काँपन लाग्या, काया में होंगे तेरै रोग।।आपे नै भी मरणा होगा, औरां का के सोग।



भरी जवानी न्यू फिरता भई, ज्यूँ जंगल का रोज।
कालबली का लगा तमाचा, टोह्या ना पावे लोग।।आपे नै भी मरणा होगा, औरां का के सोग।



राम भजन में आलस माने, कुबद्ध कमावे रोज।
सन्त देख तेरा माथा ठनके, मरा पाप के बोझ।।आपे नै भी मरणा होगा, औरां का के सोग।



कह कबीर सुनो भई साधो, गुरु मिलन के योग।
संतां नै तो राम रटा, ना मानें मूर्ख लोग।।आपे नै भी मरणा होगा, औरां का के सोग।

काया रे तेरी पावनी रे बन्दे, हंस बटेऊ लोग।
जो जन्मा सो आया मरण में, सभी काल के भोग।
आपे नै भी मरणा होगा, औरां का के सोग।

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