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विविध भजन

Aisi preet lagi girdhar se jyo sone me suhaga re,ऐसी प्रीत लगी गिरधर से ज्यों सोने में सुहागा रेकोई कछु कहे मन लाग्या रे

ऐसी प्रीत लगी गिरधर से ज्यों सोने में सुहागा रे
कोई कछु कहे मन लाग्या रे।

ऐसी प्रीत लगी गिरधर से ज्यों सोने में सुहागा रे
कोई कछु कहे मन लाग्या रे।



जन्म जन्म का सोया मनवा
सतगुरु शबद से जाग्या रे।कोई कछु कहे मन लाग्या रे।ऐसी प्रीत लगी गिरधर से ज्यों सोने में सुहागा रे
कोई कछु कहे मन लाग्या रे।



मात पिता मेरा कुटुम कबीला
जैसे टूट गया धागा रे।कोई कछु कहे मन लाग्या रे।ऐसी प्रीत लगी गिरधर से ज्यों सोने में सुहागा रे
कोई कछु कहे मन लाग्या रे।



मीरां के प्रभु गिरधर नागर
भाग पुरबला जाग्या रे।कोई कछु कहे मन लाग्या रे।ऐसी प्रीत लगी गिरधर से ज्यों सोने में सुहागा रे
कोई कछु कहे मन लाग्या रे।

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