रास रचायो रसिक बिहारी,एसो रस बरसाए दियो।ज्ञान ध्यान मन उजला करके,भक्ति को रंग चढ़ाए दियो।
रास देखने कैसे जाऊं घर में मोहे रुकाय दियो। विनती सुन कर गोविंद आए,कान्हा झट चटकाए दियो।
रास रचायो रसिक बिहारी,एसो रस बरसाए दियो।ज्ञान ध्यान मन उजला करके,भक्ति को रंग चढ़ाए दियो।
रास देखन जो मैं जाऊं, घर के लोग खिंजाई दियो। श्याम सुंदर की बंसी सुनकर सबको मन हरसाईं दियो।
रास रचायो रसिक बिहारी,एसो रस बरसाए दियो।ज्ञान ध्यान मन उजला करके,भक्ति को रंग चढ़ाए दियो।
क्या गोपी क्या गोप ग्वाला सबको दरस दिखाई दियो। श्याम सुंदर तेरी लीला न्यारी गांव को स्वर्ग बना दियो।
रास रचायो रसिक बिहारी,एसो रस बरसाए दियो।ज्ञान ध्यान मन उजला करके,भक्ति को रंग चढ़ाए दियो।
ब्रह्मा नाचे विष्णु नाचे देवियों ने गीत सुनाई दियो। चंद्रमा से अमृत बरसे शिव जी ने डमरू बजाई दियो।
रास रचायो रसिक बिहारी,एसो रस बरसाए दियो।ज्ञान ध्यान मन उजला करके,भक्ति को रंग चढ़ाए दियो।
टंकी ताल में मन की ढपली प्रेम की बंसी बजाई दियो। कृष्ण नाम का सुमिरन करके भक्ति को ढोल बजाई दियो।
रास रचायो रसिक बिहारी,एसो रस बरसाए दियो।ज्ञान ध्यान मन उजला करके,भक्ति को रंग चढ़ाए दियो।
श्याम नाम की चुनरी ओढ़ी राधा नाम लिखाई दियो। राधा राधा नाम सुने तो श्याम ने संग निभाई दियो।
रास रचायो रसिक बिहारी,एसो रस बरसाए दियो।ज्ञान ध्यान मन उजला करके,भक्ति को रंग चढ़ाए दियो।
महारास में जो नहीं आए हीरा जन्म गवाय दियो। महा मोह में फंसकर उन्होंने कंचन कांच बनाई दियो।
रास रचायो रसिक बिहारी,एसो रस बरसाए दियो।ज्ञान ध्यान मन उजला करके,भक्ति को रंग चढ़ाए दियो।