भजन कर मोहन मुरारी का, छोड़ मोह दुनियादारी का।
अमर केवल वह दाता है। भूल में क्यों इतराता है। यह जीते जी का नाता है, साथ में कुछ नहीं जाता है। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 यह झूठा खेल मदारी का,छोड़ मोह दुनियादारी का।
भजन कर मोहन मुरारी का, छोड़ मोह दुनियादारी का।
भतेरी दुनिया यह रोई, जिंदगी क्या रो कर खोई। काल का नश्वर निर्मोही, आज तक छोड़या ना कोई।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 ना चूके तीर शिकारी का,छोड़ मोह दुनियादारी का।
भजन कर मोहन मुरारी का, छोड़ मोह दुनियादारी का।
करेगा जैसी जो करनी पड़ेगी अल्बत वह भरनी। परमसुख तारे बैतरणी,शास्त्र में वेदों में वर्णी।काम ना वहां होशियारी का, छोड़ मोह दुनियादारी का।
भजन कर मोहन मुरारी का, छोड़ मोह दुनियादारी का।
यह दुनिया नाटक है क्षण का। घमंड तेरा टूटे धनबल का। देखता सपना तू कल का। पता नहीं हे मूरख पलका।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺भरम ना भूप भिखारी का,छोड़ मोह दुनियादारी का।
भजन कर मोहन मुरारी का, छोड़ मोह दुनियादारी का।