पूछे सिया सुन अंजनि के लाला।
क्यूँ तोड डाली तूने मणियों की माला।।
कीमती मणि की तुमको माला दी थी हमने,
क्यूँ तोड़ डाली बजरंग दांतो से तुमने
माला ना तोडी तुमने ह्रदय तोड़ डाला। क्यूँ तोड डाली तूने मणियों की माला।।
पूछे सिया सुन अंजनि के लाला।
क्यूँ तोड डाली तूने मणियों की माला।।
आखिर विभीषण बोले जाति का है बंदर ।
रतन परखने की अकल नहीं अंदर,
जंगली फलों को है ये खाने वाला। क्यूँ तोड डाली तूने मणियों की माला।।
पूछे सिया सुन अंजनि के लाला।
क्यूँ तोड डाली तूने मणियों की माला।।
हाथ जोड बजरंग बोले क्षमा करो माता,
इसमें तो राम नाम नजर नही आया,
मैं तो हूँ बस राम का दिवाना,
इसलिए तोडी मेंने मणियों की माला।क्यूँ तोड डाली तूने मणियों की माला।।
पूछे सिया सुन अंजनि के लाला।
क्यूँ तोड डाली तूने मणियों की माला।।
मंगल शनि को तेरे चोला जो चढायेगा
भवसागर से वो नर तर जायेगा
ऐसा सिया जी ने वर दे डाला
क्यो तोड़ डाली तूने मणियों की माला।क्यूँ तोड डाली तूने मणियों की माला।।
पूछे सिया सुन अंजनि के लाला।
क्यूँ तोड डाली तूने मणियों की माला।।