चेत चेत म्हारा मन रे दीवाना, पीछे फेरा क्यों नहीं देता। जुग में कायम कुण नर रहता।
सुता सुता थारी आयु घटत हैं, उमर ओछी होता।पल पल में कलिंगो कोपे,ऊपर घेरा देता।जुग में कायम कुण नर रहता।
चेत चेत म्हारा मन रे दीवाना, पीछे फेरा क्यों नहीं देता। जुग में कायम कुण नर रहता।
बड़ा-बड़ा बलवंती जोधा, मूछा रे बट्ट देता। भांग दी भुजा तोड़ दिया माथा,कायम काट दिया खाता।जुग में कायम कुण नर रहता।
चेत चेत म्हारा मन रे दीवाना, पीछे फेरा क्यों नहीं देता। जुग में कायम कुण नर रहता।
थारी म्हारी में खलक सब कपियो, खोज खबर नहीं पाता। भजन करो गुरुदेव रा रे, भरम-कर्म मिट जाता।जुग में कायम कुण नर रहता।
चेत चेत म्हारा मन रे दीवाना, पीछे फेरा क्यों नहीं देता। जुग में कायम कुण नर रहता।
अखे नाम किरतार रो रहसी, उन मालिक री सत्ता। खोज कर ले देख ले प्राणी, देह झारी गल जाता।जुग में कायम कुण नर रहता।
चेत चेत म्हारा मन रे दीवाना, पीछे फेरा क्यों नहीं देता। जुग में कायम कुण नर रहता।
कहे दास सुनो मेरे बांधव, जाग्या सो नर जीता।जाग्या नर परम पद पाया, मुरख रह गया रीता।जुग में कायम कुण नर रहता।
चेत चेत म्हारा मन रे दीवाना, पीछे फेरा क्यों नहीं देता। जुग में कायम कुण नर रहता।