ठाकुर जी तेरी सेवा हमसे ना बनी रे
गोपाल तेरी सेवा हमसे ना बनी रे।
कहाँ से लाऊं गंगा कहाँ से लाऊं जमुना
कहाँ से लाऊं सरयू की धार बनी रे।
ठाकुर जी तेरी सेवा,हमसे ना बनी रे
गोपाल तेरी सेवा हमसे ना बनी रे।
कहाँ से लाऊं रोरी कहाँ से लाऊं चावल
कहाँ से लाऊं फूलो का माल बनी रे
ठाकुर जी तेरी सेवा,हमसे ना बनी रे
गोपाल तेरी सेवा हमसे ना बनी रे।
कहाँ से माखन कहाँ से लाऊं मिश्री
कहाँ से लाऊं दहिया की मटकी रे
ठाकुर जी तेरी सेवा,हमसे ना बनी रे
गोपाल तेरी सेवा हमसे ना बनी रे।
कहाँ से लाऊं राधा कहाँ से लाऊं ललिता।
कहाँ से लाऊं रूक्मिण सुहाग मणि रे।
ठाकुर जी तेरी सेवा,हमसे ना बनी रे
गोपाल तेरी सेवा हमसे ना बनी रे।