तर्ज, यो कुंन रंग डारयो
झूला तो पड़ग्या कान्हा, रे अमूवा की डारी।थारे बिन राधा प्यारी न, झुलावे कुण मुरारी।
राधा बिन श्याम अधुरो,बिन मोहन राधा अधूरी। रे छलिया प्रीत लगाकर अब तूं, क्यूं कर जावे दूरी।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
झूला तो पड़ग्या कान्हा, रे अमूवा की डारी।थारे बिन राधा प्यारी न, झुलावे कुण मुरारी।
सब सखियां मने चिढ़ावे,गिरधर बिन झूला न भावे।मेरो हिवड़ो बैठ्यों जावे अब तो,आजा मुरली धारी।२।🌹🌹🌹🌹🌹
झूला तो पड़ग्या कान्हा, रे अमूवा की डारी।थारे बिन राधा प्यारी न, झुलावे कुण मुरारी।
सुन राधा टेर मुरारी,बजाई बंसी प्यारी।मिसरी सी घुल गई काना में,हरसाई राधा प्यारी।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
झूला तो पड़ग्या कान्हा, रे अमूवा की डाली।थारे बिन राधा प्यारी न, झुलावे कुण मुरारी।