तर्ज,सो बार जनम लेंगे
तूं क्यों घबराता है,तेरा श्याम से नाता है। जब मालिक हो तगड़ा, क्यों खुद को हराता है।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚तूं क्यों घबराता है,तेरा श्याम से नाता है।
तूं जब भी बुलाएगा,यह दौड़ा आएगा।तेरे दुखड़े ये सारे,पल में ही मिटाएगा।🦚🦚अपने भक्तों को दुखी,यह देख ना पाता है।तूं क्यों घबराता है,तेरा श्याम से नाता है
जब कुछ ना तुझे दिखता, तूं श्याम का ध्यान लगा। यह तेरा साथी है, मन में विश्वास जगा। 🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚जब इसकी कृपा होती, रस्ता मिल जाता है।तूं क्यों घबराता है,तेरा श्याम से नाता है
तेरी हर मुश्किल को, चुटकी में ये हल कर दे। कोई दांव चलाए तो,ये उसको विफल कर दे।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚कोई ना जान सका,किस रूप में आता है।तूं क्यों घबराता है,तेरा श्याम से नाता है
हर भक्त की टेर सुनी,फिर तुझमे कहां है कमी।बस मन में बसाले तूं,प्यारी सी इसकी छबि।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚ये हर पग पर तेरा, खुद भार उठाता है।तूं क्यों घबराता है,तेरा श्याम से नाता है।
तूं क्यों घबराता है,तेरा श्याम से नाता है। जब मालिक हो तगड़ा, क्यों खुद को हराता है।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚तूं क्यों घबराता है,तेरा श्याम से नाता है।