तर्ज,मेरे राधा रमण गिरधारी।
में बन के मोर रंगीला, श्री यमुना तट पे जाऊं।तुम मुरली मधुर बजाओ,में प्रेम से नाचूं गाऊं।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚में बन के मोर रंगीला, श्री यमुना तट पे जाऊं।
में बन के श्याम पपिहा,पिया पिया रटन लगाऊं।तुम ओस बूंद बन बरसो,जन्मों की प्यास बुझाऊं।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚में बन के मोर रंगीला, श्री यमुना तट पे जाऊं।
में बन के चंद्र चकोरा,नैनों में नीर भर लाऊं।तुम श्याम चंदर बन जाओ,में जल का अरघ चढ़ाऊं।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚में बन के मोर रंगीला, श्री यमुना तट पे जाऊं।
में बनके बांस की मुरली,हरी अधरों से लग जाऊं।जो श्याम बजावे मुझको, में अधर सुधा रस पाऊँ।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚में बन के मोर रंगीला, श्री यमुना तट पे जाऊं।
में बनके पीतांबर फेंटा,गोविंद मस्तक सज जाऊं।जो कान्हा लपेटे मुझको,में हरी सरपे सज जाऊं।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚में बन के मोर रंगीला, श्री यमुना तट पे जाऊं।
में बनके वैजन्ती माला,हरी कलेजिये सो जाऊं।मुझे कभी ना छोड़े गिरधर,में प्राणों में बस जाऊं।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚में बन के मोर रंगीला, श्री यमुना तट पे जाऊं।
में बन के मोर रंगीला, श्री यमुना तट पे जाऊं।तुम मुरली मधुर बजाओ,में प्रेम से नाचूं गाऊं।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚में बन के मोर रंगीला, श्री यमुना तट पे जाऊं।