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Shree Krishna govind hare murari, श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹पितु मातु स्वामी,सखा हमारे,हे नाथ नारायण वासुदेव।

बंदी गृह के तुम अवतारी। कहीं जन्मे कहीं पले मुरारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 किसी के जाये, किसी के कहाये। है अद्भुत हर बात तिहारी।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 गोकुल में चमके मथुरा के तारे।हे नाथ नारायण वासुदेव।श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹पितु मातु स्वामी,सखा हमारे,हे नाथ नारायण वासुदेव।

अधर पर बंसी हृदय में राधे, बंट गए दोनों में आधे आधे। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹हे राधा नागर हे भक्तवत्सल, सदैव भक्तों के काम साधे। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹वहीं गए वहीं गए, वहीं गए जहां गायें पुकारे।श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹पितु मातु स्वामी,सखा हमारे,हे नाथ नारायण वासुदेव।

गीता में उपदेश सुनाया, धर्म युद्ध को धर्म बताया। कर्म तूं कर, मत रख फल की इच्छा। यह संदेश तुम ही से पाया।🌹🌹🌹🌹🌹अमर है गीता के बोल सारे। हे नाथ नारायण वासुदेवा।श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹पितु मातु स्वामी,सखा हमारे,हे नाथ नारायण वासुदेव।

त्वमेव माता पिता त्वमेव,त्वमेव बंधु सखा त्वमेव। त्वमेव विद्या द्रवीणम त्वमेव। त्वमेव शरणम मम देव देव:।

गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो। राधा रमण हरि गोविंद बोलो। राधा रमण हरि गोविंद बोलो।

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