तर्ज,गाड़ीवाले हमें बिठालें
ना ही किनारा ना ही सहारा, किसी की ना दरकार जो संग में तू मेरे।
क्या करना है किनारे का, क्या करना है सहारे का। भव से वो तो पार हुआ, जो नौकर इस प्यारे का।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 नदी किनारे नैया डूबी, देखी सौ सौ बार।🦚 प्रभु क्या खेल तेरे।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚ना ही किनारा ना ही सहारा, किसी की ना दरकार जो संग में तू मेरे।
जिस पर भरोसा करते थे,काम मेरे वह आएगा। देगा मुझे सहारा वह, नैया पार लगाएगा।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 उनके चलते अटक गई थी, नैया मेरी मझधार। प्रभु क्या खेल तेरे।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚ना ही किनारा ना ही सहारा, किसी की ना दरकार जो संग में तू मेरे।
नैया ले मझधार खड़ा, याद आई मुझे तब तेरी। मेरे हाथ को थाम लिया, पल भर की ना देर करी।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 उस दिन से ही बन गया सांवरा, मेरा पालनहार। 🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚प्रभु क्या खेल तेरा तेरे।ना ही किनारा ना ही सहारा, किसी की ना दरकार जो संग में तू मेरे।
ना ही किनारा ना ही सहारा, किसी की ना दरकार जो संग में तू मेरे।