तर्ज,तुम रूठ के मत जाना
बस इतनी तमन्ना है, ऐ श्याम तुम्हे देखूं। घनश्याम तुम्हें देखूं।
सिर मुकुट सुहाना हो, माथे तिलक निराला हो। गले मोतियन माला हो, जब श्याम तुम्हे देखूं। घनश्याम तुम्हे देखूं।
बस इतनी तमन्ना है, ऐ श्याम तुम्हे देखूं। घनश्याम तुम्हें देखूं।
कानों में हो बाली, लटके लट घूंघराली। तेरे अधर पे हो मुरली, जब श्याम तुम्हें देखूं। घनश्याम तुम्हें देखूं।
बस इतनी तमन्ना है, ऐ श्याम तुम्हे देखूं। घनश्याम तुम्हें देखूं।
बाजूबंद बाहों पे हो, पैजनिया पांव में हो। होठों पे हंसी कुछ हो, जब श्याम तुम्हें देखूं।घनश्याम तुम्हे देखूं
बस इतनी तमन्ना है, ऐ श्याम तुम्हे देखूं। घनश्याम तुम्हें देखूं।
दिन हो या अंधेरा हो, चाहे श्याम सवेरा हो। सोऊं तो सपनों में, बस श्याम तुम्हे देखूं। घनश्याम तुम्हे देखूं।
बस इतनी तमन्ना है, ऐ श्याम तुम्हे देखूं। घनश्याम तुम्हें देखूं।
चाहे घर हो नंदलाला, कीर्तन हो गोपाला। हर जग के नजारे में, बस श्याम तुम्हें देखूं। घनश्याम तुम्हे देखूं।
बस इतनी तमन्ना है, ऐ श्याम तुम्हे देखूं। घनश्याम तुम्हें देखूं।
कहता है भक्त यह, सौगात मुझे दे दे। जिस और नजर फेरू, बस श्याम तुम्हे देखूं। घनश्याम तुम्हे देखूं।
बस इतनी तमन्ना है, ऐ श्याम तुम्हे देखूं। घनश्याम तुम्हें देखूं।