मैं दुखिया नीर बहाता, तूं बैठा मौज उड़ाता। कुछ तो सोच विचार रहम कर, दीनानाथ कुहाता। कुहाता।में …..
ध्रुव प्रहलाद सुदामा जैसी, धीर कहां से लाऊं। प्राणी हूं कलिकाल का भगवन, पलपल धीर गवाऊं। 🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚जैसा भी हूं सेवक तेरा, काहे इसे लजाता।लजाता।में…..
कष्ट अनेकों सहता दयामय, लेकर नाम तुम्हारा। भूल गए क्यों नाथ पूछते, कभी तो हाल हमारा।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 दुखियों के हो सखा टूट गया, क्या मुझसे हो नाता। नाता। में…..
आना हो तो आ बेदर्दी, अब तो सहा ना जाए। तेरे रहते कष्ट सताए, कैसी शाख निभाए।🦚 फिर ना कहना नहीं पुकारा, कैसा साथ निभाता। निभाता।में….
जो गति होगी नाथ सहूंगा, और भला क्या चारा। तेरे वश में हम पर तुझ पर, बस ना चले हमारा। 🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚नंदू सहले श्याम सुमर ले, मनवा धीर बंधाता। बंधाता।में…..