लहरियों भींजे रे,
कानूड़ा रंग बरसे,
हम हैं श्याम दीवाने यह ऐलान करते हैं
घनश्याम चले आना कलयुग के अंधेरे में।
दूर से आया बाबा धाम तेरे खाटू
बाजी बाजी रे शहनाई जनक नगरी,
चांदडलो चढ़ आयो आंगने ढलती मांझल रात
कोरी कोरी मटक में पानी टपके
सालासर बुलाले बाबा हियो भटके ।
चूलकाना शीश का दान दिया है बर्बरीक बलवान ने
श्याम मेरा दौडा आएगा लिले चढ़कर आएगा
जुवा हस्तीनापुर में खेले रे कुंती के पांचों बेटा।
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