म्हारा छैल भंवर रो कांगसियो पंनिहारया ले गई रे।
Category: rajasthani geet
म्हारां छैल भवँर रो कांगसियों,
पणिहारिया ले गई हो,
बादिला लेता आइजो जी घुमेरदार लंजो
मोरीया रे, झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे।
इण लहेरिये रा नौ सौ रुपया रोकड़ा सा
अजी हाँ सा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजे सा
जयपुर वाली चुनरी, जा पर मंडियां दादर मोर, ओढ़ में नाचूंली।
में तो नाचन सारू ऐसा पायल भूल आई।
अलबेलो मारो साइबो प्यारो लागे जी