झिर मीर झिर मीर रे रामू प्यारा,
मेह पड़े जी कोई, चणना भिजे द्वार
Category: rajasthani geet
म्हारी चंद्र गौरजा, रतनारो खंभो दिख दूर स्यूं
झुक जाई रे हरिया पोदिना
टाबरिया सयाणा हो गया रे,बादिला ईब तो मान।
पीली लुगड़ी का झाला सु रुकाई दे मेटाडोर।
थासू लाख झगड़ लूं पर, थारे बिन नहीं सरे।
प्यारा लागो भाभी ने देवर लाड़ला जी राज।
बाय चाल्या छ भंवर जी पींपळी जी
गोरडी कर सौलाह सीणगार
चाली पाणी ने पणिहार
समदरिया लहरा लेवे सा ओ बालमा
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