कबुतर खेत मत भेले रे,
Category: Holi geet
डाकिया रे म्हारो कागद लिख दे,
सुन बागा की मोरनी थारी, घणी सुरंगी चाल
काजल भरीयो कुंपलो कोई पडयो पलंग रे हेत कोरो काजलियो।
खिड़की खोल दे नखराली छोरी
लंका में आयो भाई जी बांदरो दबंग है,
ओ हो घड़वादे मेरा श्याम, बाजंती बंगड़ी,घड़वादे रे।
देशड़लो रंग रूड़ो रे,राणा जी थारो देशड़लो रंग रूडो
गांजो पिले रे सदा रे शिव जी,भोला अमली,
रंग रुडो रे राठौड़ा थारी महफिल रो,रंग रुडो रे
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